कथा के मध्य धूम धाम से मनाया मकर संक्रांति का त्यौहार।
गौवंश को वितरण किये गरम कम्बल और गुड तिल के लड्डू।
मकर संक्रांति पर भक्तों ने गाय को समर्पित किये अन्न वस्त्र और मीठा दलिया।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी क्षेत्र के प्रितिष्ठित पशु अस्पताल में धूम धाम से मनाया गया मकर संक्रांति का त्यौहार।
कोटवन - करमन बॉर्डर पर इस्थित देवी चित्रलेखाजी के सानिध्य में बीमार पशुओं के लिए निशुल्क संचालित गौ सेवा धाम हॉस्पिटल में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद भागवत कथा एवं श्रीराधा चरितामृत कथा के द्वितीया दिवस के मध्य में मकर संक्रांति के त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया गया।
इस अवसर पर गौमाताओं को गुड तिल के लड्डू, मीठा दलिया, गरम गरम औटि, हरा चारा, ताज़ी सब्जियां खिलाकर मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया गया, बाहर से आये भक्तों ने गौमाता को गरम कम्बल उढ़ाये, साथ ही यहां कार्य कर रहे सेवकों को भी मिठाई, तिल के लड्डू, मूंगफली व कम्बल बांटे।
यहां चल रही कथा में देवी चित्रलेखाजी ने श्री राधा रानी के चरित्र का वर्णन किया और साथ ही मकर संक्रांति के पावन त्यौहार के बारे में बताया की
मकर संक्रांति का त्योहार, सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है।
इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं।
देवीजी ने कहा की पतंग से पक्षिओं को होने वाले नुकसान को भी नज़र अंदाज न करें, पक्षिओं की सुरक्षा का ध्यान रखें, अगर पतंग में उलझकर कोई पक्षी घायल हो जाता है तो उसे जल्द से जल्द नजदीक पशु अस्पताल ले जाकर उसका उचित उपचार कराएं।
भजन संकीर्तन करते हुए अपने त्यौहार को मनाएं।