जिस सनातनी धर्म देश भारत में गाय को मां का दर्जा दिया गया है उसी देश में गौवंश की र्दुदशा आम तस्वीर हो गई है।
कभी भूख से मरती गाय तो कभी प्लास्टिक और कचरा खाती गाय हमें जरूर दिख जाती है और तब याद आते है गोवंश को बचाने का दावा और वादे करने वाली सरकार।
कथनी और करनी में बहुत सारा फरक तब साफ़ दिखाई पड़ता है जब सड़कों पर अनाथ,बेसहारा घूमता गौवंश कचरे से गंदगी व पॉलिथीन खाने को मजबूर हैं। सुख.समृद्धि की प्रतीक रही भारतीय गाय आज कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक की थैलियां खाती और फिर अपनी जान गवा देती
भारत भूमि में गाय की महिमा आदिकाल से रही है। हर हिन्दू घर में सबसे पहली रोटी गाय की और दूसरी रोटी कुत्ते की निकाली जाती थी। यह विडंबना ही है कि भारत में पूजनीय मानी जाने वाली गौवंश की आज घोर उपेक्षा की जा रही है। शहर में जगह-जगह लगे प्लास्टिक के ढेर पर मुंह मारती गायों के दृश्य आम हैं। जरुरत से ज्यादा पॉलीथिन का प्रयोग न सिर्फ गौवंश अपितु मानव प्रजाति के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है।
घरों से सब्जियों फलों के निकले छिलके और अन्य खाद्य सामग्री पॉलिथीन में बांधकर कूड़े के ढेर पर फेंकी जा रही हैं। जहां बेसहारा गोवंश भोजन की तलाश में पहुंचते हैं और पूरा ही पॉलीथिन का पैकेट खा जाते है जिस से कभी न गलने वाली प्लास्टिक उनके पेट में जमा होती रहती है
विडंबना है कि देवताओं को भी भोग और मोक्ष प्रदान करने की शक्ति रखने वाली गौमाता आज चारे के अभाव में कूड़े के ढेर में कचरा और प्लास्टिक की थैलिया खाकर हर महीने हजारों लाखों गोवंश अपनी जान गवां देते है,
क्या कोई है इनकी जिम्मेदारी लेने वाला? सरकार या सम्माज?
विडंबना तो ये है की न सरकार और न समाज ऐसे गौवंश के लिए जागरूक है, ऐसे में आशा की किरन लिए उपश्तिथ है गौ सेवा धाम हॉस्पिटल जहां ऐसी बीमारी से ग्रसित अनेकों गौवंश का उपचार कर उनके पेट से आधा कुन्टल तक पॉलिथीन निकाली गयी,
इस गौमाता को भी दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से यहां लाया गया जिसके साथ उसका छोटा सा बचा भी था,
टीम को जानकारी मिली की एक गौवंश ने कई दिनों से खाना पीना बंद कर दिया है और बच्चे को भी दूध पिलाने में अश्मर्थ है, ऐसे में बड़ी चुनौती थी माँ और बच्चे दोनी की जान बचें की ,
गौ सेवा धाम की एम्बुलैंस की मदद से माँ और बच्चे को उपचार क लिए होडल पलवल में स्थित गौ सेवा धाम हॉस्पिटल लाया गया,
गाय के प्राथमिक उपचार और जाँच मै पाया गया की पेट में काफी मात्रा में पॉलिथीन जमा हुआ पड़ा हुआ है, ऐसे में गौ सेवा धाम की चिकित्सक टीम तुरंत लग गयी गौवंश के ओपरेशन में, घंटो चले इस ऑपरेशन में गौवंश के पेट से 50 किलो से ज्यादा प्लास्टिक कचरे के साथ लोहे की क्षड़, सिक्का, नुकीले कील पथ्थर, जैसे कभी न गलने वाले नुकसानदायक पदार्थ निकाले गए,
समय रहते गौवंश और उसके छोटे बच्चे की जान बचा ली गयी, पर न जाने ऐसे कितने गौवंश हैं जो सही समय पर उपचार न मिलने के आभाव में अपने प्राण त्याग रहे हैं,
गौ सेवा धमहोस्पिटल की संचालिका देवी चित्रलेखाजी द्वारा पिछले 10 वर्षो में भारत के अलग अलग राज्यों में जाकर प्लास्टिक बैन को लेकर अनेकों रैलिया व कार्यक्रम आयोजित कर
लोगों को बताया गया की प्लास्टिक । पॉलीथिन से क्या क्या नुकसान हमें और हमारी प्रकृति को झेलने पड़ते हैं,
आइये हम सब मिलाकर पॉलिथीन और प्लास्टिक के उपयोग को कम कर एक स्वच्छ वातावरण बनाने को आगे आएं
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